अमरोहा में ढोलक, तबला, डमरू, एकतारा, गोपीचंद, मीरदंग, पखाबज, नाल, ढोल आधी देशी वाद्य यंत्र का निर्मार्ण 200 वर्षो से भी अधिक समय से किया जा रहा है प्राचीन काल में ढोलक का निर्माण का कार्य आम के बागो में किया जाता था किंटू समय के अनुरुप तकनीक आने पर धीरे – धीरे इसका निर्माण करखानो में लगा लकिन आम के पेड़ो की अधिकार होने के कारण निर्माण अमरोहा में ही किया जाने लगा अमरोहा की ढोलक की धूम देश के सभी राज्यों के साथ – साथ विदेश में भी है अमरोहा की ढोलक देश -विदेश में सप्लाई की जाति है अमरोहा में ढोलक बनाने के 400 से अधिक कारखाने वफैक्ट्री है जिस्म महिला और पुरुष दोनो ही प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं इसमे 1000 परिवार और 1500 परिवार अप्रत्यक्ष रूप से जुदा है या अमरोहा का मुख्य व्यय है इसका टर्नओवर लगभाग 1000 करोड़ सलाना है पीछे कुछ वर्षो से म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स में कि मांग बढ़ा जा रही है अमरोहा में बनने वाले डमरू की बहुत अधिक मांग टॉयज के रूप में है देश के मेले वी बाजार ओ मैं इसकी बहुत मांग है जिसने चीन के खिलोनो की मांग को बहुत था तक कम कर दिया है ।
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